प्रतिष्ठित नामों का दुरुपयोग कर फर्जी प्रेस कार्ड कर दिया जाता है जारी
उत्तरप्रदेश को उभरते हुए नेताओं का गढ़ माना जाता है, अपनी समाज मे पहचान बनाने के लिए शॉर्टकट रास्ते की तलाश में भटक रहे युवाओं को टारगेट किया जाता है, जिसमे व्हाट्सएप ग्रुप अपनी अहम भूमिका निभाता है, एडमिन तथाकथित समाचार ग्रुप , संगठन, सोसाइटी, संस्था आदि बना कर अपने मकड़जाल में युवाओं को फसाते हैं, आपको बता दें कि प्रेस का आईडी कार्ड जारी करने का अधिकार यूट्यूब चैनल, शोशल मीडिया, वेब पोर्टल आदि को नहीं है,
नेटवर्क मार्केटिंग के तर्ज पर चल रहे कुछ मीडिया चैनल अपनी कड़ी जोड़ने के लिए धनराशि राशि जमा करवाते है और फिर विज्ञापन एवम चैनल में नई ज्वाइनिंग का दबाव बना कर राशि को जप्त कर ली जाती है,अप्रशिक्षित प्रेस कार्ड धारक जनता के बीच जा कर उन्हें गुमराह करते हैं, और कार्ड की हनक दिखा कर डराते हैं,
◆ फर्जी प्रेस आईकार्ड धारक विभागों में सेंध लगाने में बाज नही आते, कर्मचारियों को अपने जाल में फसा कर उन्हें ही ब्लैकमेल करते हैं,
यूट्यूब चैनल पर सम्मानित जिम्मेदार मीडिया का मिलता जुलता लोगो लगा कर नए नेताओं को भी टारगेट किया जाता है,
*आपके अधिकार*
किसी भी मामले में दखल देने वाले पत्रकार पर आपको संदेह है तो पत्रकार से मांगिये आई कार्ड , जांचिए ,पड़ताल करिये , आर०यन०आई० नंबर या रजिस्ट्रेशन नंबर को www.rni.nic.in की वेबसाइट पर जाकर चेक करिये, अगर सही पाते है तभी अपनी समस्या बताइये,
गलत पाने पर तुरंत नजदीकी थाने में शिकायत करें
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